मानवाधिकार वे अधिकार हैं जोकि इस पृथ्वी पर हर व्यक्ति केवल एक इंसान होने के कारण ही प्राप्त हुए हैं। ये अधिकार विश्व्यापी हैं और वैश्विक कानूनों द्वारा संरक्षित हैं। सदियों से मानवाधिकार और स्वतंत्रता का विचार अस्तित्व में है। हालांकि समय के बदलने के साथ-साथ इनमें भी परिवर्तन हुआ है।
अंतर्राष्ट्रीय कानून के तहत यातना देने पर प्रतिबंध है। हर व्यक्ति यातना न सहने से स्वतंत्र है।
कश्मीर में सत्ता सबको चाहिए, लोकतंत्र किसी को नहीं
रंग, नस्ल, भाषा, धर्म के आधार पर समानता का अधिकार
यद्यपि मानव अधिकार विभिन्न कानूनों द्वारा संरक्षित हैं पर अभी भी लोगों, समूहों और कभी-कभी सरकार द्वारा इसका उल्लंघन किया जाता है। उदाहरण के लिए पूछताछ के दौरान पुलिस द्वारा यातना की आज़ादी का अक्सर उल्लंघन किया जाता है। इसी प्रकार गुलामी से स्वतंत्रता को मूल मानव अधिकार कहा जाता है लेकिन गुलामी और गुलाम प्रथा अभी भी अवैध रूप से चल रही है। मानव अधिकारों के दुरुपयोग की निगरानी के लिए कई संस्थान बनाए गए हैं। सरकारें और कुछ गैर-सरकारी संगठन भी इनकी जांच करते हैं।
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बटला हाउस मुठभेड़ पर एन.एच.आर.सी. की कार्यवाही
इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि आयोग में नियमित अध्यक्ष के न होने के चलते क्या दुर्गति हो गई है। गौरतलब है कि मानव अधिकार आयोग राज्य में होने वाले तमाम मानव अधिकार के उल्लंघन के मामलों पर सुध लेता है। इन मामलों में अंतरिम राहत प्रदान करना मुआवजा या हर्जाना देने की अनुशंसा या सिफारिश करना शामिल होता है। वर्तमान में मानव अधिकार आयोग में एक सदस्य मनोहर ममतानी हैं जो कार्यवाहक अध्यक्ष बनकर कामकाज निपटा रहे हैं।
अगर नहीं, तो फिर चलें हम अपने से ही तुलना शुरू करते हैं कि हम मानवाधिकार को कितना मानते हैं? क्या हम अपने साथ और अपने घर में रहने वाले लोगों के मानवाधिकारों का सम्मान करते हैं?
मानवाधिकार दिवस पर कार्यक्रम को अधिक प्रभावशाली और सफल करने के लिये एक विशेष विषय का निर्धारण करके इसे मनाया जाता है। किसी भी देश में मानव गरीबी सबसे बड़ी मानव अधिकार चुनौती है। मानव अधिकार दिवस मनाने more info का मुख्य लक्ष्य या उद्देश्य मानव जीवन से गरीबी का उन्मूलन और जीवन को अच्छी तरह से जीने में मदद करना है। विभिन्न कार्यक्रम जैसे: संगीत, नाटक, नृत्य, कला सहित आदि कार्यक्रम लोगों को अपने अधिकारों को जानने में मदद करने और ध्यान केन्द्रित करने के लिये आयोजित किये जाते हैं।
प्रैक्टिस टेस्ट डेली एडिटोरियल टेस्ट
विचाराधीन मामलों की संख्या (नया + पुराना)
“कोई फर्क नहीं पड़ता कि कितना करुणाजनक या दयनीय है, हर मानव को अपने जीवन में एक पल नसीब होता है जिसमें वो अपने भाग्य को बदल सकते हैं।”
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